कभी भी एक हाइपोथिसिस के साथ अपनी शुरुआत ना करें

Hindi translation of “Never start with a hypothesis

Cassie Kozyrkov
9 min readNov 19, 2020

हिंदी अनुवाद: आयुष मिश्रा, (Aayush Mishra)

मूल लेख: कैसी कॉज़ीरकोव (Cassie Kozyrkov)

संपादिका: प्रियंका वरगड़ीआ (Priyanka Vergadia)

हाइपोथिसिस टैस्टिंग करना एक बॉलरूम डांस कि तरह है; इसके स्टेप्स हैं-एक्शन-एक्शन-वर्ल्ड-वर्ल्ड। इसमें भी एक अच्छी फॉक्सट्राट रिदम मौजूद होती है। बदकिस्मती से कई लोग ऐसा करने में सफल नहीं हो पाते हैं क्योंकि वो अपना पहला कदम ही गलत रखते हैं। तो अगर आप ये डांस सही तरह से करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए इन्स्ट्रक्शंस को फॉलो करें।

स्टेप 1: अपना डिफ़ॉल्ट एक्शन लिखें

अनसर्टेनिटि (अनिश्चितता) कि स्थति में अपना मन बदलने के साइंस को स्टैटिस्टिक्स कहते हैं। इसका पहला कदम ये है कि आपको डेटा देखने से पहले ही तय करना होगा कि आप क्या एक्शन्स लेने वाले हैं, ऐसा करने के पीछे कारण ये है कि आप डेटा कि वजह से प्रभावित होकर कोई एक्शन लेने से बच पाएं।

डेटा को बिना देखे आप कौन से एक्शंस लेने के लिए कमिटेड हैं?

इसी वजह से इसकी शुरुआत होती है उन फिज़िकल एक्शन/डिसिजन से जिन्हें करने के लिए आप कमिटेड होते हैं, बिना किसी भी एविडेन्स या डेटा को देखे। यही एक्शन/डिसिजन आपका डिफ़ॉल्ट एक्शन कहलाते हैं

शुरुआत करने का लेना-देना सिर्फ आपके एक्शंस से है ना कि आपके बिलीफ्स से।

कुल मिलकर मेरा आपसे सवाल बस यही है कि, “आप कोई भी डेटा ना होने पर क्या एक्शंस लेंगे ?”

“इसके लिए डेटा इकट्ठा करेंगे” एक सही जवाब नहीं है। अगर आपको मजबूर किया जाए कि अभी इसी वक्त आप क्या एक्शन लेंगे, तो वो एक्शन क्या होगा?

स्टेप 2: अपना ऑल्टर्नेटिव एक्शन लिखें

आप अपने डिसिजन को बाइनरी रखेंगे, यानी कि ये करना है vs ये नहीं करना है। इनमें से जो भी आपका डिफ़ॉल्ट एक्शन नहीं है, वही आपका ऑल्टर्नेटिव एक्शन कहलाएगा।

यदि बाइनरी आपको बहुत बेसिक लगता है, तो आपकी स्क्रीन पर मौजूद अलग-अलग तरह के शेप्स एक साथ कई बाइनरी ऑप्शंस को साथ लाने कि ताकत को दिखाते हैं। जब आपको ज्यादा कॉम्प्लेक्स डिसिजन लेने कि ज़रूरत होगी, तो आप एक साथ कई हाइपोथिसिस टैस्ट्स कर सकते हैं। हम एक समय में एक के साथ शुरुआत करते हैं।

शुरुआत करने का लेना-देना सिर्फ आपके एक्शंस से है ना कि आपके बिलीफ्स से। इस बात पर गौर कीजिए कि मैं आपसे ये नहीं जानना चाह रही हूँ कि आप क्या जानते हैं, क्योंकि एक अच्छी फ़्रीक्वेंटिस्ट ( जिसे क्लासिकल स्टैटिस्टिशन भी कहते हैं) होने के नाते आप किसी भी चीज़ पर तब तक विश्वास नहीं करते हैं जब तक आप उसका ऐनेलिसिस नहीं कर लेते हैं।

किसी भी चीज़ पर नहीं। मेरे साथ बोलिए: मैं किसी भी चीज़ पर विश्वास नहीं करता/करती हूँ।

इस बारे में बेयसिअन्स का नज़रिया अलग होता है, और अगर आप भी उन्हीं कि तरह सोचते हैं तो इसे अपने किसी दुश्मन को जानने का एक मौका समझें। बेयसिअन्स किस तरह से सोचते हैं इस बारे में हम जल्द ही बात करेंगे।

अभी के लिए, अगर आपको यह पता लगाना हो कि आपका सामना किस तरह के स्टैटिस्टिक्स से हो रहा है तो उसमें यूज़ होने वाले जार्गन शब्दों पर ध्यान दें। यदि आप कॉन्फिडेन्स इंटर्वल” या “पी-वैल्यू” जैसे शब्द सुनते हैं, तो आपका सामना फ़्रीक्वेंटिस्ट स्टैटिस्टिक्स से हो रहा है और यदि आप “ क्रेडिबल इंटर्वल” या “प्रायर “ या “पोस्टीरियर” सुनते हैं तो आपका सामना बेयसिअन स्टैटिस्टिक्स से हो रहा है। यदि पहला वाला आपको जाना पहचाना लग रहा है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादातर एजुकेशनल प्रोग्राम्स बेयसिअन थिंकिंग से पहले/ बजाय फ़्रीक्वेंटिस्ट थिंकिंग पढ़ाना पसंद करते हैं।

किसी भी तरह कि इनफार्मेशन ना होने का सामना करना

कौन से एक्शन को अपना डिफ़ॉल्ट एक्शन चुनना है ये किसी नंबर नर्ड का काम नहीं है। यह काम तो एमबीए के अंदर आता है, जिसे करने कि जिम्मेदारी टीम के डिसिजन मेकर कि होती है। यह काम शांति के साथ ये ध्यान में रख कर किया जाता है कि बिज़नेस के लिए क्या सही है और क्या नहीं।

डिफ़ॉल्ट एक्शन को चुनना टीम के डिसिजन मेकर का काम होता है, जिसे बिज़नेस कि अच्छी समझ होना बहुत जरूरी है।

मैं आपसे जानना चाह रही हूँ कि आप तब क्या करना प्रीफर करेंगे अगर मेरे किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए आप डेटा का सहरा नहीं लेते हैं? तब आपका डिफ़ॉल्ट एक्शन क्या होगा? हालांकि एक्स्प्लोरेटॉरी डेटा ऐनैलिसिस (EDA) एक ऐसा टूल है जो डिसिजन मेकर्स के लिए इस काम में काफी मददगार साबित हो सकता है, अगर आप इसका इस्तेमाल कर सकें।ह ज़रूर पढ़ें अगर आप इस बात को गहराई से जानना चाहते हैं कि ऐनालिस्ट और डिसिजन मेकर्स मिलकर कैसे काम करते हैं।

EDA बहुत उपयोगी साबित हो सकता है … अगर आप इसे अफोर्ड कर सकें। इसकी कीमत ये होती है कि जो भी डेटा आप EDA के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं उसका आप स्टैटिस्टिक्स में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। और ऐसा करना काफी मंहगा साबित हो सकता है। इसलिए ऐसा करने के लिए डीसीजन मेकर पूरी तरह ज़िम्मेदार होते हैं।

इसे सावधानी से करना

इमैजिन कीजिए की आपको एक नए प्रोडक्ट को लॉन्च करने के बारे में डीसीजन लेना है। आमतौर पर डीसीजन मेकर्स इस काम को बड़ी सावधानी से करते हैं: तब तक इसे लॉन्च नहीं करते जब तक डेटा आपको ऐसा करने की इजाज़त नहीं देता है। यदि आपके पास डेटा नहीं है, इस प्रोजेक्ट को खुशी-खुशी संभाल कर रखेंगे। हो सकता है कि ये गलत हो लेकिन ऐसा करके आप एक ऐसा डिफ़ॉल्ट एक्शन ले रहे हैं जो आपको लॉन्च करके गलत साबित होने से काम गलत लगता है।

डिफ़ॉल्ट एक्शन वो ऑप्शन है जिसे आप तब चुनते करते हैं जब आपके पास कोई जानकारी मौजूद नहीं होती है। ऐसे डिफ़ॉल्ट एक्शन्स के अन्य उदाहरण जो सोसाइटी में लिए जाते हैं, जैसे कोई इंसान तब तक बेकसूर है जब तक की उसके खिलाफ कोई सबूत ना हो (डिफ़ॉल्ट = दोषी नहीं है अगर कोई सबूत नहीं है), नई दवाओं कि टैस्टिंग में (डिफ़ॉल्ट = अगर इसका एविडेन्स नहीं है तो अप्रूव नहीं होगा), और साइन्टिफिक पब्लिकेशन (डिफ़ॉल्ट = अगर इसका एविडेन्स नहीं है तो पब्लिश नहीं होगा)।

यदि आपका कोई डिफ़ॉल्ट नहीं है, तो आपको फिर स्टैटिस्टिक्स कि ज़रूरत नहीं है

हालांकि इंसान का पूरी तरह बेपरवाह होना बहुत ही मुश्किल होता है, लेकिन अगर आप बिना किसी डेटा के अपना डीसीजन ले सकते हैं तो फिर आपको सही मायने में स्टैटिस्टिक्स कि कोई ज़रूरत नहीं है। अगर आपका दिमाग किसी बात पर तय ही नहीं है, तो इसे बदला ही नहीं जा सकता है। आगे बढ़ें और इसे पढ़ें। अनिश्चितता कि स्थिति में अपना डीसीजन लेने स्टैटिस्टिक्स का यूज़ किया जाता है। यदि आपके पास पहले से ही जवाब मौजूद है, तो आपको इसकी कोई ज़रूरत ही नहीं है।

अगर आप समझ रहे हों तो इसका पहला कदम बिना किसी जानकारी के अपने डीसीजन को फ्रेम करना है, और आप ये भी समझ रहे होंगे कि यहाँ एक डीसीजन मेकर कि ट्रेनिंग एक मैथमैटिशन कि तुलना में ज्यादा जरूरी है।

पूरी जानकारी के होने का सामना करना

इसका अगला कदम थोड़ा अटपटा है। अब आपको दुनिया कि हर संभावित परिस्थितियों के बारे में सोचना है और ये काम डीसीजन मेकिंग को और भी कठिन बना देता हैं। जब आपने हर संभावित परिस्थितियों के बारे में सोच लिया हो उसके बाद आपको उन्हें दो हिस्सों में बाँटना है: पहला जिसे बकेट-1 कहेंगे “वो परिस्थितियाँ जहाँ आप खुशी-खुशी अपना डिफ़ॉल्ट एक्शन लेंगे” और दूसरा बकेट-2, “वो परिस्थतियाँ जहां आप अपना डिफ़ॉल्ट एक्शन नहीं लेंगे”। इस काम को सही तरह से करने के लिए बहुत मेंटल डिसिप्लिन, क्रीएटिवटी, फ्लेक्सबिलटी और फोकस कि ज़रूरत होती है।

आपका काम दुनिया कि हर संभावित परिस्थितियों के बारे में सोचना है।

स्टेप 3: अपने नल हाइपोथिसिस को डिस्क्राइब करें (H0)

जिस पहले हिस्से कि हमने ऊपर बात कि है उसे ही नल हाइपोथिसिस कहते हैं। नल हाइपोथिसिस उन सभी परिस्थितियों का कलेक्शन है जहां आप खुशी-खुशी अपना डिफ़ॉल्ट एक्शन लेंगे। यह काम करने का मनोबल हर किसी में नहीं होता है, इसलिए अपने डीसीजन मेकर का चुनाव बहुत सोच-समझ कर करें।

स्टैटिस्टिक्स कि क्लासेस में पढ़ाया जाता है कि हाइपोथिसिस को टैस्ट करें ना कि उन्हें बनाए। आपको ये परीक्षा के दौरान बने बनाए मिलते हैं

आइए एक बार देखते हैं कि हम कहाँ खड़े हैं। आपने चीजों को इस तरह सेट किया है ताकि आप अपना डिफ़ॉल्ट एक्शन लेने के लिए तब तक कमिटेड हैं जब तक आप कुछ भी नहीं जानते हैं, आपके बास बहुत काम जानकारी मौजूद है, या आप पूरे विश्वास के साथ जानते हैं कि आप नल हाइपोथिसिस कि दुनिया का ही हिस्सा हैं

हाइपोथिसिस कॉकरोच की तरह होते हैं। जब आप एक को देखते हैं, तो यह कभी एक नहीं होता है। वहाँ हमेशा और भी बहुत सारे कहीं छिपे मौजूद होते हैं।

स्टेप 4: अपने ऑल्टर्नेटिव हाइपाथिसिस को डिस्क्राइब करें (H1)

जिस दूसरे हिस्से कि बात हमने कि थी वो सभी ऑल्टर्नेटिव हाइपोथिसिस में आते हैं। ये वो सभी परिस्थितियाँ है जो नल हाइपोथिसिस के गलत होने पर सही हो सकती हैं। ये दोनों हाइपोथिसिस एक दूसरे के मैथमैटिकल कॉम्प्लीमेन्ट हैं, और इसका यह भी मतलब है कि कोई तीसरा बकेट नहीं है।

दूसरे शब्दों में कहें तो आपका इस सवाल का जवाब है ऑल्टर्नेटिव हाइपोथिसिस:

“वो क्या वजह होगी जिससे आप अपना मन बदलने के लिए तैयार हो जाएंगे?”

एक्शन (डिफ़ॉल्ट) -एक्शन-वर्ल्ड-वर्ल्ड: और डांस पूरा हो गया।

अब हम डेटा को इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं।

आपके मन को बदलने का साइंस

इन दोनों हाइपोथिसिस के बीच सभी तरह कि संभावनाएं शामिल हो जाती हैं। ये एक दूसरे को ओवर्लैप नहीं करते हैं। अगर मैं डेटा के साथ आपको विश्वास दिला दूँ — कि आप ऑल्टर्नेटिव हाइपोथिसिस कि दुनिया में से किसी एक में रहते हैं… तो फिर आप अभी भी अपने डिफ़ॉल्ट एक्शन पर विचार क्यों कर रहे हैं? यह एक सही चॉइस नहीं है।

यदि डेटा आपको कन्विन्स कर लेता है कि आप ऑल्टर्नेटिव हाइपोथिसिस कि दुनिया में रहते हैं, तो आपको अपने एक्शन्स को बदल देना चाहिए।

ऐक्टिव बनाम पैसिव

इस डीसीजन का एक बड़ा हिस्सा जुड़ा है इसकी शुरुआत में, आपके लिए ये दोनों एक्शन्स सामान्य नहीं है। आप एक फ़्रीक्वेंटिस्ट कि तरह खुले विचारों वाले हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप डेटा कि ना होने पर किसी एक एक्शन को दूसरे के मुकाबले ज्यादा बेहतर मानते हैं। यही तो सबसे ज़रूरी बात है। यदि दोनों एक्शन्स आपके लिए एक जैसे ही हैं, तो इसे पढ़ें।

डिफ़ॉल्ट आपका वो एक्शन है जिसे आप पैसिवली लेंगे (ज्यादा सोच-विचार नहीं करेंगे), लेकिन ऑल्टर्नेटिव एक्शन वो है जिसे आप ऐक्टिवली लेंगे ( पूरी तरह कन्विन्स होकर लेंगे)।

अधूरी जानकारी का सामना करना

यदि आप अपना डेटा पूरा डेटा नहीं देख सकते हैं, तो आपको अनसर्टेनिटी का सामना करना पड़ेगा। यही वजह है जब आपको प्रॉबबिलिटी कैल्क्यूलेशन का इस्तेमाल करना होगा। और वो सबी एक वाक्य में ही आकार सिमट जाते हैं, जैसा कि आप अगले चैप्टर में देखेंगे।

आपको ये कभी नहीं पता चलेगा कि कौन सी दुनिया आपके लिए है। इसी वजह से ये और भी ज्यादा ज़रूरी हो जाता है कि आप अपने डिफ़ॉल्ट एक्शन को बहुत ही गंभीरता से चुनें जो आपके विचारों को सही तरह से दर्शाता हो। आपको कैसे पता चलेगा कि आपने चीज़ों को सही तरह से फ्रेम किया है, आपको टाइप I एरर को करने के विचार पर ज़्यादा बदतर महसूस होना चाहिए टाइप II एरर करने से। दूसरे शब्दों में:

गलत तरीके से अपने डिफ़ॉल्ट एक्शन छोड़ने का विचार आपके लिए ज्यादा दर्दनाक होना चाहिए, बजाए कि उस पर अड़े रहने कि गलती करने पर

यदि यह सच नहीं है, तो आप वास्तव में खुद के साथ ईमानदार नहीं हैं कि कौन सा एक्शन क्या है। इसे एक बार फिर से देखते हैं!

एस कोई जादू नहीं है जो अनसर्टेनिटी को सर्टेनिटी में बदल दे।

एक्शन्स ज्यादा प्रभावशाली होते हैं

स्टैटिस्टिकल हाइपोथिसिस सेट करने के लिए पहले आपको पता होना चाहिए कि आपका डिफ़ॉल्ट एक्शन क्या है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आगे कि सभी चीज़ें बिखर जाती हैं।

दुर्भाग्य से, अपने डिफ़ॉल्ट एक्शन को गलत तरीके से चुनना उन लोगों के बीच एक कॉमन मिस्टेक है जो गड़ित तो सीख लेते हैं लेकिन उसके पीछे कि फिलॉसफी के बारे में नहीं जानते हैं। यही गलती उन टीम्स में भी नज़र आती है जहां डीसीजन मेकर्स एक्शन से गायब होते हैं और ये काम नंबर नर्डस् के हवाले सौंप दिया जाता है।

अपना डिफ़ॉल्ट एक्शन गलत तरीके से चुनना एक कॉमन मिस्टेक है। ये हर जगह मौजूद है!

अगर आप फेल होने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं तो आपको एक्शन्स कि बजाए हाइपोथिसिस के साथ शुरुआत करनी चाहिए। ये बात हमें याद दिलाती है कि स्टैटिस्टिक्स कि क्लासेस किस तरह से बनी होती हैं, क्योंकि उन क्लासेस में आपको कभी डीसीजन मेकर का रोल नहीं पढ़ाया जाता है क्योंकि वो काम वहाँ प्रोफेसर ही कर देते हैं। असल ज़िंदगी में इसका असर आपको एक गलत शुरुआत करने कि तरफ ले जाता है। इसमें इतना एफर्ट लगाने के बाद अगर आप मूँह के बल गिर पड़ें, तो क्या ये बात शर्मनाक नहीं होगी?

हमेशा अपने डिफ़ॉल्ट एक्शन के साथ शुरुआत करें।

यदि आप इन विचारों को उदाहरण के ज़रिए (एलियन के साथ!) पढ़ना पसंद करेंगे तो यहां पढ़ सकते हैं।

यदि आप इन्हें स्टैटिस्टिक्स कि बारीकियों के बिना सिर्फ बेसिक उदाहरणों के साथ पढ़ना पसंद करेंगे, तो इसेपढ़ें।

हाइपाथिसिस के साथ शुरुआत करके खुद को मुँह के बल गिरने से बचाएँ, हमेशा अपने डिफ़ॉल्ट एक्शन के साथ शुरुआत करें।

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Cassie Kozyrkov

Head of Decision Intelligence, Google. This account is for translated Hindi versions of my English language articles. twitter.com/quaesita